GST

जीएसटी राजस्व बढ़ रहा है तो फिर क्या जीएसटी सफल है!!!!

आज 1 अप्रैल 2024 हैजिस समय यह लेख लिखा जा रहा है , इस वित्तीय वर्ष का पहला दिन है और अभी अभी एक खबर आई है कि मार्च 2024 में जीएसटी का कलेक्शन 1.78 लाख करोड़ रूपये हुआ है तो आइये आज बात करें कि राजस्व तो बढ़ रहा है पर क्या जीएसटी सफल है !!! राजस्व का लगातार बढना क्या जीएसटी की सफलता का संकेत हैं या अभी भी कहीं ना कहीं कुछ ना कुछ छुट रहा है . ये तो आप मान कर चलिए जीएसटी राजस्व के मामले में तो सफल है ही और इसके साथ ही करदाताओं की संख्या भी बढ़ती जा रही है तो इससे यह लगता है कि जीएसटी का संचालन सफलता पूर्वक हो रहा है .

सन 2017 में भारत में जीएसटी जिन उद्देश्यों के लिए लागू किया गया था उनमें अप्रत्यक्ष कर प्राणाली के सरलीकरण के साथ -साथ करदाताओं की संख्या में वृद्धि और कर राजस्व में बढ़ोतरी भी एक उद्देश्य था . इसके साथ ही एक राष्ट्र एक कर भी जीएसटी का मुख्य उद्देश्य था जहाँ अप्रत्यक्ष कर प्रणाली को एक स्वचालित कर प्रणाली बनाना भी था जिसमें कर की प्रक्रिया के दौरान मानव हस्तक्षेप कम से कम हो .

पहले राजस्व की बात करें. एक समय था जब मासिक जीएसटी का आंकडा एक लाख करोड़ को पार करने पर एक बड़ी खबर बन जाता थी वही आंकडा अब हर माह 1.50 लाख करोड़ को पार कर रहा है, फरवरी 2024 का कलेक्शन ही 1.68 लाख करोड़ है और अभी अभी मार्च की खबर आई है कि इस माह में 1.78 लाख करोड़ रूपये का कलेक्शन हुआ है ओर यह जीएसटी को लेकर कानून निर्माताओं के लिए एक उत्साह की बात हो सकती है लेकिन इस बढ़ते हुए राजस्व के बाद भी  क्या हम यह कह सकते हैं कि जीएसटी बढ़ते हुए राजस्व के बाद भी क्या सफल कहा जा सकता है ? आइये देखें इस समय जीएसटी के क्या हाल है . हाँ एक बात और है कि कभी भी कानून निर्माताओं ने यह घोषित नहीं किया है कि आखिर जीएसटी को लेकर उनका मासिक या वार्षिक लक्ष्य क्या है लेकिन करदाताओं की बढती संख्या के साथ -साथ  राजस्व लगातार बढ़ रहा है इसलिए आप जीएसटी को राजस्व को देखते हुए तो सरकार के लिए सफल मान ही सकते हैं.

आइये अब देखें वार्षिक रूप से जीएसटी का कलेक्शन 2017 से अब तक जो कर वसूल हुआ है उसका विवरण देखें तो हमें यह जरुर समझ आयेगा कि वसूल किया जाने वाला कर लगातार बढ़ ही रहा है :-

 

वित्तीय वर्ष वसूल किया गया कर (करोड़ रूपये में )
2017-18 740648.00
2018-19 1177369.00
2019-20 1222116.00
2020-21 1136801.00
2021-22 1488227.00
2022-23 1807679.00
2023-24 2018249.00

 

आइये देखें कि वितीय वर्ष 2022-23 के मुकाबले 2023-24 में जो जीएसटी का कलेक्शन हुआ है उसे एक टेबल और चार्ट के द्वारा समझा जा सकता है .

माह 2022-23 (करोड़ रूपये ) 2023-24 (करोड़ रूपये )
अप्रैल 167540.00 187035.00
मई 140885.00 157090.00
जून 144616.00 161497.00
जुलाई 148995.00 165105.00
अगस्त 143612.00 159069.00
सितम्बर 147686.00 162712.00
अक्तूबर 151718.00 172003.00
नवम्बर 145867.00 167929.00
दिसंबर 149507.00 164882.00
जनवरी 157554.00 174106.00
फरवरी 149577.00 168337.00
मार्च 160122.00 178484.00
कुल वार्षिक 1807679.00 2018249.00

 

करदाताओं की संख्या भी लगातार बढती जा रही है . इस समय उपलब्ध अंतिम आकड़ों के अनुसार जीएसटी में रजिस्टर्ड कुल करदाताओं की संख्या 1 करोड़ 44 लाख से अधिक है जिनमें से 1 करोड़ 26 लाख के लगभग सामान्य करदाता है और 15 लाख के आसपास कम्पोजीशन डीलर्स भी है . इसके अतिरिक्त स्त्रोत पर कर जमा कराने वाले , अनिवासी एवं केजुअल टैक्स पेयर्स भी शामिल है . यह बढती हुई करदाताओं की संख्या भी कानून निर्माताओं के लिए जीएसटी की सफलता की और ही इशारा करती है .

आइये डीलर्स की कुल संख्या के वर्गीकरण को देख लेते हैं –

करदाता का प्रकार संख्या
सामान्य जीएसटी डीलर्स 12251710
कम्पोजीशन डीलर्स 1529534
इनपुट सर्विस डिस्ट्रीब्यूटर 7374
स्त्रोत पर कर एकत्र करने वाले 19165
स्त्रोत पर कर कटौती करने वाले 280036
अन्य 3610
TOTAL 14091429

 

सेन्ट्रल एक्साइज और वेट के साथ -साथ लगे हुए कई अन्य केन्द्रीय एवं राज्य करों के प्रक्रियाओं के बोझ से दबे करदाताओं को इस समय केवल एक ही कर जीएसटी की प्रक्रियाओं का ही पालन करना पड़ रहा है और यह भी करदाताओं के लिए एक बहुत बड़ी राहत की बात है . करदाताओं को जीएसटी से पूर्व केन्द्रीय बिक्री कर से तहत सी – फॉर्म्स एकत्र करने की एक बहुत बड़ी समस्या थी जो जीएसटी में समाप्त हो गई है.

आइये अब बार करें अप्रत्यक्ष करों के सरलीकरण की जिसके लिए जब से जीएसटी लागू किया गया तब से मांग की जा रही है कि जीएसटी की प्रक्रियाओं को सरल बनाया जाए जो कि बिलकुल नही नहीं हुआ है . प्रक्रियाओं को देखें तो जीएसटी केवल मात्र विक्रेता की सूचनाओं पर आधारित कर बन कर रह गया है जिसमें माल एवं सेवा को खरीदने वालों की स्तिथि बहुत खराब है . क्रेताओं के लिए समस्या यह है कि यदि विक्रेता समय पर कर एवं अपना रिटर्न नहीं भरता है तो क्रेता को मिलने वाली इनपुट क्रेडिट रोक ली जाती है लेकिन विक्रेता अपना रिटर्न और कर समय पर भरे यह क्रेता के हाथ में नहीं होता है .

इसके अतिरिक्त जीएसटी को एक मानव प्रभाव से मुक्त एक स्वचालित कर प्रणाली के रूप से विकसित किया जाना था लेकिन इस समय जिस प्रकार सेऔर जिस संख्या में जीएसटी के नोटिस जारी हो रहें है और उन्हें समझाने के लिए करदाताओं को विभाग के साथ जितनी मेहनत करनी पड़ रही है उससे यह भ्रम भी समाप्त हो जाता है कि जीएसटी मानव हस्तक्षेप से मुक्त कर प्राणाली है . यहाँ यह कहना महत्वपूर्ण होगा कि इससे पूर्व जारी अप्रत्यक्ष कर प्रणाली जिसमें राज्यों का वेट और केंद्र का उत्पाद शुल्क भी शामिल थे उनमें भी इतनी संख्या में नोटिस जारी नहीं होते थे.

जीएसटी की प्रक्रियाओं की बात करें तो करदाता इन सभी से पूरी तरह संतुष्ट नहीं है और इनकी जटिलताओं से परेशानी की बात हमेशा ही उठती ही रहती है . आइये इसे एक उदहारण से समझने की कोशिश करें. सामान्य विक्रेता को हर माह की समाप्ति के बाद 11 तारीख तक अपना बिक्री का रिटर्न भरना पड़ता है लेकिन मान लीजिये किसी कारण से यह रिटर्न 12 तारीख को भर दिया तो उसका प्रभाव यह होता है कि उस माह की इनपुट क्रेडिट क्रेता को नहीं मिलती है इस तरह विक्रेता की इस भूल का दंड तो क्रेता को मिलता है और उसे अतिरिक्त कार्यशील पूंजी का इंतजाम करना होता है लेकिन साथ ही क्रेताओं और विक्रेताओं के आपसी सम्बन्ध में खराब होते है.

आरसीएम अर्थात रिवर्स चार्ज मेकेनिज्म भी जीएसटी में करदाताओं के लिए एक सिरदर्द और बहुत बड़ी आर्थिक बाधा ही साबित हुआ है विशेष तौर पर एक ऐसा आरसीएम जिसे जमा कराते ही उसकी इनपुट क्रेडिट मिल जाती है और ऐसे में यदि वह इस आरसीएम को जमा करने की प्रक्रिया में भूल कर गया है तो अब कर और ब्याज के रूप में लाखों रूपये की मांग खड़ी हुई है जो करदाताओं की एक तकनीकी गलती की बहुत बड़ी सजा है . इन डीलर्स ने इन मांग के सम्बन्ध में कर राशि का 10 प्रतिशत जमा करवा कर अपील कर रखी है लेकिन इसमें सरकार द्वारा राहत देने पर ही कोई उम्मीद बन सकती है .

जीएसटी के रिटर्न्स के बारे में भी कई बार खबर आती है कि कर की चोरी को रोकने के लिए रिटर्न एक बार जो भर दिया है उसे रिवाईज करने की कोई सुविधा नहीं होनी चाहिए और यहाँ आप यदि ध्यान से देखें तो यह सोच ही गलत है क्यों कि कर की चोरी करने वाले तो कुल डीलर्स का केवल एक प्रतिशत से भी कम होता होगा लेकिन रिटर्न भरते समय गलती तो किसी भी डीलर से हो सकती है . कर की चोरी करने वालों को पकड़ने के लिए इतना सख्त कानून बनाया गया है कि लाखों ईमानदार डीलर्स इनसे परेशान हो रहे हैं लेकिन इन सब के बावजूद भी कर की चोरी हो रही है और यह स्तिथि ही इस पूरे तंत्र पर एक प्रश्नचिन्ह है . सरलीकरण के मुख्य उद्देश्य की और अब किसी भी तरह का ध्यान ही नहीं है .

जीएसटी से जुडी एक समस्या और है और वह है कि जव करदाता बैंक में जीएसटी का चालान भर देता है तब भी उसे तब तक ब्याज का भुगतान करना होता है जब तक कि वह अपना रिटर्न नहीं भर देता है . यह भी एक अजीब सी प्रक्रिया है जिसके तहत कर दाता को कर का भुगतान कर देने के बाद भी ब्याज का भुगतान करना होता है जब कि उसके बैंक खाते से पैसा निकल चुका होता है और सरकार को भी वह पैसा मिल चुका होता है .

जीएसटी में ब्याज की दर भी बहुत ज्यादा है . इस समय यह दर 18 प्रतिशत है जो कि वर्तमान में चल रही बैंक ब्याज की दर के मुकाबले कहीं ज्यादा है . कर समय पर नहीं चुकाने के कई कारण होते हैं और फिर यदि करदाता ब्याज सहित कर चुका रहा है तो फिर उसकी नियत में कोई कमी नहीं कही जा सकती है . कभी- कभी हालात ही ऐसे हो जाते हैं कि भुगतान में देरी हो जाती है तो ऐसे में पेनाल्टी के साथ – साथ दंड देने के अन्य प्रावधान तो है ही जैसे इस तरह के डीलर्स का क्रेता भुगतान भी रोक लेते हैं क्यों कि उन्हें क्रेडिट नहीं मिलती है तो ऐसे में इतनी ऊँची ब्याज दर से वसूली का कोई औचित्य नहीं है.

जीएसटी में शास्ती या पेनाल्टी के प्रावधान भी काफी अव्यवहारिक एवं सख्त है और यहाँ लगने वाली न्युनत्तम पेनाल्टी को टैक्स की रकम से नहीं जोड़ा गया है तो यहाँ कई बार ऐसा होता है कि किसी आदेश में यदि आप मान लीजिये 500 रूपये का कर जमा नहीं कराया और नोटिस जारी होने पर भी आप एक निश्चित समय तक इसे नहीं चुका पाते हैं या किसी कारणवश भूल जाते हैं तो फिर पेनाल्टी की राशि 20 हजार रूपये हैं. पेनाल्टी की राशि कर एवं उस पर लगने वाले ब्याज से ज्यादा नहीं होना चाहिए.

जीएसटी में राजस्व तो लगातार बढ़ रहा है और यह एक उत्साहवर्धक बात है कि जीएसटी का संचालन सफलता पूर्वक हो रहा है लेकिन करदाताओं की समस्याएं भी हल होनी चाहिए.  इस और अब सरकार को ध्यान देना चाहिए क्यों कि जब बिना समस्याओं के करदाता व्यापार करेंगे तो फिर राजस्व और भी बढेगा.     

-सुधीर हालाखंडी

word file link- जीएसटी राजस्व -सुधीर हालाखंडी

Related posts

IMPACT OF CHANGE IN GST COMPENSATION CESS RATES W.E.F. 1ST APR 2023

CA Abhas Halakhandi

Sometimes unnoticed but 💥Important💥 things about E-way bills 🚚 under GST.

Aditya Sinhal

Brief Bullet Points related to Appeal and Higher judicial authorities

CA Hiren Bhandari

11 comments

Speally August 26, 2024 at 1:11 am

MC seen when HIV is acquired by IV drug use priligy for pe Cells were cultured in mitogen deprived DMEM 10 FBS

Reply
pxhio July 9, 2025 at 12:06 am

amoxicillin price – combamoxi amoxil generic

Reply
0v0zt July 10, 2025 at 9:29 am

buy generic forcan for sale – https://gpdifluca.com/ diflucan online

Reply
b4ncj July 11, 2025 at 10:20 pm

where can i buy cenforce – https://cenforcers.com/# buy cenforce no prescription

Reply
5x6ok July 17, 2025 at 8:54 am

viagra 50mg street value – buy viagra paypal accepted viagra 100mg online in india

Reply
Connieboave July 19, 2025 at 4:10 am

This is a question which is forthcoming to my verve… Numberless thanks! Quite where can I find the contact details due to the fact that questions? this

Reply
lgfhx July 19, 2025 at 9:31 am

Greetings! Very productive par‘nesis within this article! It’s the crumb changes which liking obtain the largest changes. Thanks a a quantity quest of sharing! cheap neurontin generic

Reply
gls5l July 22, 2025 at 5:54 am

I’ll certainly carry back to review more. https://prohnrg.com/

Reply
32j27 July 24, 2025 at 7:51 pm

More content pieces like this would make the web better. https://aranitidine.com/fr/levitra_francaise/

Reply
Connieboave August 4, 2025 at 11:29 pm

The thoroughness in this section is noteworthy. https://ondactone.com/spironolactone/

Reply
Connieboave August 7, 2025 at 8:21 pm

More content pieces like this would create the интернет better.
https://proisotrepl.com/product/tetracycline/

Reply

Leave a Comment