Income Tax

राजनीतिक दान और आयकर छूट: नीयत बनाम नियोजन

राजनीतिक दलों  को दान पर आयकर छूट का घोटाला – एक विश्लेषण

– सुधीर हालाखंडी

भारत में राजनीतिक दलों को दान पर दी जाने वाली आयकर छूट (धारा 80GGC व 80GGB के अंतर्गत) का उद्देश्य लोकतंत्र को आर्थिक रूप से सशक्त बनाना था, ताकि पारदर्शिता बनी रहे और लोग स्वेच्छा से दान कर सकें। कई लोग और कम्पनियां इस तरह के दान देते भी है और फिर उसमें आयकर की छूट भी लेते है लेकिन हाल ही में सामने आए कर-छूट घोटाले ने इस व्यवस्था पर एक प्रश्नचिन्ह लगा कर इस पूरे प्रावधान को ही कठघरे में खड़ा कर दिया है कि इसका एक बड़े पैमाने पर दुरूपयोग हो रहा है ।

सरकारी सूत्रों के अनुसार इस घोटाले में कुछ करदाता, एजेंट, जो कोई भी हो सकते हैं ,    और कथित राजनीतिक दलों ने मिलकर फर्जी दान रसीदें तैयार कीं। यह दान वास्तव में नकद में नहीं दिया गया, बल्कि कागजों में बैंक या डिजिटल भुगतान दिखाया गया। इसके पश्चात वही राशि नकद में दानकर्ता को लौटा दी गई, और करदाता ने आयकर विवरणी (ITR) में 100% छूट का दावा कर लिया और यदि सही में ऐसा किया गया है तो यह सरकार द्वारा बनाये गए एक कानून का बहुत बड़ा उल्लघंन एवं दुरूपयोग है . सरकार द्वारा जारी एक प्रेस रिलीज में इस समस्या के बारे में किस प्रकार से लिखा गया है . आइये इसे भी देख लें :-

जांच में यह सामने आया कि कुछ ITR तैयारकर्ता और दलाल संगठित रैकेट चलाकर काल्पनिक कटौती / छूट दिखाते हुए रिटर्न दाखिल कर रहे थे। कुछ मामलों में अत्यधिक रिफंड पाने के लिए फर्जी TDS रिटर्न भी दाखिल किए गए।

संदिग्ध पैटर्न की पहचान के लिए विभाग ने तृतीय‑पक्ष वित्तीय डेटा, ज़मीनी खुफिया सूचनाएँ और उन्नत कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) उपकरणों का उपयोग किया। महाराष्ट्र, तमिलनाडु, दिल्ली, गुजरात, पंजाब तथा मध्य प्रदेश में हाल की तलाशी‑जब्ती कार्रवाइयों से इन फर्जी दावों के पुख़्ता सबूत मिले हैं।

क्या है इस दुरूपयोग की कार्यप्रणाली

जिस तरह की ख़बरें आ रही है उनके अनुसार इस पूरी व्यवस्था की कार्यप्रणाली इस प्रकार थी कि कुछ बिचौलिए ऐसे राजनीतिक दलों से जुड़े होते हैं जो केवल कागज़ों पर अस्तित्व में हैं। वे दानकर्ता को कहते हैं कि बैंक से ₹50,000 दान दिखाओ, हम रसीद देंगे और ₹45,000 नकद वापस कर देंगे। इस प्रक्रिया में फर्जी रसीद बनती है, कर में बड़ी राहत मिलती है, और बिचौलिए को 5% से 10% तक कमीशन मिल जाता है।

इन फर्जी दानों की राशि ₹5,000 से लेकर ₹5 लाख तक बताई जा रही है और कहीं कहीं 50 लाख भी है । कई राजनीतिक दलों का PAN नंबर इस्तेमाल कर रसीदें दी गईं, जबकि वे दल सार्वजनिक रूप से सक्रिय तक नहीं हैं या जिस क्षेत्र के करदाता उन्हें दान देते हुए दिख रहें है उनके क्षेत्र में इन राजनैतिक दलों का कोई अस्तित्व ही नहीं है .

आइये हम  देखें व्यवहारिक रूप से यहाँ विसंगतियां कहाँ है जिससे सरकार को यह लगा कि इस प्रावधान का बड़े स्तर पर दुरूपयोग हो रहा है :-

20 लाख रूपये वेतन पाने वाला कर्मचारी 6 लाख रूपये एक ऐसे राजनैतिक दल को दान दे रहा है जो कि उसके क्षेत्र में सक्रीय ही नहीं है .“अ” राज्य की एक ही कंपनी के 200 कर्मचारियों ने एक ही राजनैतिक पार्टी को चंदा दिया जिसका उनकी कंपनी के क्षेत्र और राज्य में कोई अस्तितिव नहीं है . अधिकत्तर चंदे फरवरी और  मार्च माह में दिए गए हैं. यह तो केवल कुछ उदाहरण है बाकी तो आप सभी जानते हैं कि अब सरकार और विभाग के पास जानकारी प्राप्त करने के और अनुसंधान करने के  साधन बहुत अधिक है .

आयकर विभाग की कार्रवाई

आयकर विभाग ने इस तरह के करदाताओं को मैसेज भेजें है कि यदि वे भी इसी तरह की गतिविधियों में शामिल है तो वे अपने रिटर्न संशोधित कर लें और यदि संशोधन का समय निकल चुका है तो  आयकर कानून के अनुसार अपडेटेड रिटर्न भर कर एवं व्याज भर दें . आयकर विभाग के प्रेस विज्ञप्ति यह बताती है कि कुछ कर दाताओं ने जिनकी संख्या लगभग 40 हजार है उन्होंने ऐसा किया भी है . इनमें से कई करदाताओं के केस गहन जांच प्रक्रिया में भी लिए गए हैं .  लेकिन विभाग के अनुसार अभी बहुत से लोग बाकी है .

इसके अतिरिक्त अभी हाल ही में आयकर विभाग ने  में पूरे भारत में 200 से अधिक स्थानों पर छापे मारे हैं। बैंक खातों, पैन कार्ड्स और दान की रसीदों की जांच हो रही है। कई राजनीतिक दलों, एजेंटों और करदाताओं से पूछताछ की जा रही है।

ईमानदार करदाता क्या करे

क्या राजनैतिक दलों को दिए गए सभी दान इस जांच के दायरे में आते हैं . जब जाँच चल ही रही है तो फिर किसी भी चंदे के लिए पूछताछ की जा सकती है और ये सरकार का अधिकार है  लेकिन यदि आप सही है तो फिर आपको कोई चिंता करने की कोई जरुरत नहीं है.  . सरकार ने ही कानून बनाया है कि आप राजनैतिक दलों को बैंक के जरिये चंदा दे सकते हैं और लोग देते भी है . यदि वास्तव में आपने चन्दा दिया है जो कि आप भारत के लोकतंत्र को मजबूत करने के लिए दे रहें है तो फिर आपको इन साब कार्यवाही से डरने की कोई जरुरत नहीं है लेकिन यदि आपने चंदा दिया है और फिर उसका एक बड़ा हिस्सा वापिस कैश में आपको मिल गया है तो फिर आपके लिए कई समस्याएं है जिनका जिक्र मैंने ऊपर किया है . आइये देखें अगर आप सही में चन्दा दिया है तो आपको क्या करना है :-

केवल मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों को ही दान करें। नकद में दान न करें — केवल बैंक या UPI से ही भुगतान करें। पैन और रसीद की वैधता की जाँच करें। यदि किसी रसीद पर संदेह हो, तो उसका उपयोग बिल्कुल न करें और किसी भी प्रकार के कर बचाने  के प्रलोभन में इस प्रावधान का दुरूपयोग करने का प्रयास आपने किया है तो फिर केवल कागजों के भरोसे ना रहे क्यों कि सूचना प्रोद्योगिकी और कृत्रिम बुद्धिमता के युग में आपसे या राजनैतिक पार्टी के यहाँ कोई भी ऐसा सुराग मिल सकता है जहाँ आपके पेपर बेकार हो सकते हैं  .

राजनीतिक दलों को दान पर छूट की व्यवस्था लोकतंत्र की मजबूती के लिए है, न कि कर चोरी और मनी लॉन्ड्रिंग का माध्यम बनने के लिए। सरकार और जांच एजेंसियों जो अब पूरी तरह से इस व्यवस्था के खिलाफ काम कर रही है और यदि कोई करदाता इसमें शामिल है , क्यों कि करदाता को तो खुद को तो मालुम ही है कि वास्तविकता क्या है , तो उसे शीघ्र सुधार के कदम उठा कर अपना कर , अतिरक्त कर,  ब्याज चुका कर अपने आपको कुछ तो सुरक्षित कर लेना चाहिए .

– सुधीर हालाखंडी

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